KRINVANTO VISHWAM ARYAM- Let us make the people of the world noble.Reach out to whole humanity,to refine,to educate.
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम् । उदारचरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम् ॥
अर्थात् – यह मेरा है , वह पराया है , इस प्रकार की गणनाएँ तो छोटे चित्त (मन) वाले लोग करते हैं , उदार चित्त वाले व्यक्तियों के लिए तो सारी पृथ्वी ही परिवार है ।
The mind is the largest periscope for the greatest achievement. If you can create the picture in your mind, then you can achieve it.
जो मनुष्य जगत का जितना उपकार करेगा , उसको उतना ही ईश्वर की व्यवस्था से सुख प्राप्त होगा । – ( महर्षि दयानन्द )
Actions mean nothing unless it comes from the heart.
सत्य ऋतस्य पदम् कवयो निपान्ति॥ अर्थात् – सत्य क्या है, इसको ज्ञानी जन ही जानते हैं । वही सत्य के मूल वेद की रक्षा करते हैं।